Sunday, 20 November 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 13

१३.भारतीय फिल्म संगीत का स्वर्णिम व्यक्तित्व-भप्पी लाहिरी
भप्पी दा से एक ही मुलाकात हुई लेकिन जब लोग बिना मिले भी उन्हें भूल नहीं सकते तो मैं कैसे भूल सकता हूँ.मैं मुंबई गया था और मेरे दोस्त अतुल श्रीवास्तव ने बताया की वो भप्पी दा के सेक्रेटरी के बेटी की शादी में जाने वाला है और मुझे भी ले जाना चाहता है तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गया.अतुल कोलकाता का है अच्छी बंगला जानता है और अच्चा गाता है वह मुंबई में गायन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में संघर्षरत था.शाम को हम दोनों शादी में भाग लेने पहुंचे वहां अतुल ने मेरा परिचय भप्पी दा के सेक्रेटरी से कराया,वहीँ नवाब आरजू से परिचय हुआ.फिर जब भप्पी दा आए तो उनसे मिलने का सौभाग्य मिला.उन्होंने यह जानकर की मैं भी गीत लिखता हूँ ख़ुशी जताई.तब उनके गीत "बम्बई से आया मेरा दोस्त" गली-गली बजता था आज "ऊ लाला ऊ लाला" की धूम मची है.जितनी बार "ऊ लाला ऊ लाला" सुनता हूँ भप्पी दा से मिलने का खुशनुमा एहसास ताज़ा हो जाता है.

ईश्वर करुण,
चेन्नई.    

LOG-JINSE MEIN MILA 12

१२.रिज़र्व बैंक में हिंदी के प्रतिनिधि-डॉ रमाकांत गुप्ता

पिछले सप्ताह होटल एकोर्ड में डॉ.रामकांत गुप्ता से मिला तो फिर एक बार हम लोग बतिआने और ठहाके लगाने में मशगुल हो गए डॉ.रमाकांत मेरे पुराने मित्र हैं.तब वे चेन्नई में रिज़र्व बैंक में हिंदी अधिकारी थे,आज उप महाप्रबंधक हैं और पूरे देश के स्तर पर राजभाषा अनुपालन का दायित्व निभा रहे हैं उनकी पुस्तक भी आर्थिक जगत में लोकप्रिय है.यारों के यार हैं और अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित.राजभाषा पर हमारी लम्बी बातचीत होती रही.मेरी शुभकामना है की वे शीघ्र-अतिशीघ्र महा प्रबंधक बने और राजभाषा की गरीमा में एक नया इतिहास लिखें जिसमे मेरी भी छोटी सी चर्चा हो.

ईश्वर करुण,
चेन्नई.   

LOG-JINSE MEIN MILA 11

११.राजभवन में भारतीय सादगी के प्रतीक-म.म राज्यपाल श्री के.रोसैया
१५ नवम्बर २०११ को लम्बे समय बाद चेन्नई राजभवन जाने का अवसर मिला.इसके पूर्व पहली बार श्री भीष्म नारायण सिंह जी के समय कई बार गया था,होली भी खेली थी.फिर रेड्डी जी और सुरजीत सिंह जी के समय भी जाने का अवसर मिला.हम लोग पांच थे-डॉ बालशौरी रेड्डी,मैं,श्री कृष्णमूर्ती,श्री वासुदेवन और श्री मणिकंठन.पांच बजे मिलने का समय तय था किन्तु गेट नंबर २ पर हम लोग के लिए सूचना नहीं थी.फिर तुलजा नन्द सिंह जी से डॉ बालशौरी रेड्डी जी की बात हुई और फिर सब कुछ आसान होता चला गया.म.म राज्यपाल ने अच्छी हिंदी में भी हम सभी से बात की तेलुगु में भी बतियाऐ.सरलता की प्रतिमूर्ति सादगी के प्रतीक,व्यस्त होते हुए भी हम लोगों के लिए समय निकाला हम सभी आभारी हैं,राज्यपाल महोदय नें शीघ्र ही राजभवन में एक कार्यक्रम के हमारे प्रस्ताव को गंभीरता से लिया.हमलोग ख़ुशी-ख़ुशी बाहर निकले तो राजभवन के मृग ने हमें सरलता से विदा किया.

ईश्वर करुण,
चेन्नई.    

LOG-JINSE MEIN MILA 10

१०.भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित व्यक्तित्व-अश्विनी कुमार चौबे.  श्री अश्विनी कुमार चौबे से मिलकर किसी के भी मन में भारतीय संस्कृति के अनुरूप स्वयं को भी ढालने का जज़्बा एक बारगी पैदा होता है.श्री अश्विनी जी बिहार के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री हैं और आम जनता में जन जागृति फैलाने में सदैव नया प्रयोग करते रहे हैं चाहे वह गाँव की स्वक्षता का प्रश्न हो या फिर आम लोगों में स्वास्थ के प्रति जागरूकता का.अश्विनी जी से पाहि मुलाकात वर्षों पहले नाथ नगर (भागलपुर) में हुई थी बाद में जब चेन्नई में वे भाजपा के राष्ट्रीय सम्मलेन में भाग लेने चेन्नई आए तो परिचय और गहरा हुआ.उस सम्मलेन के दौरान हम लोगों ने एक सम्मान समारोह रखा था जिसमे श्री रविशंकर प्रसाद,श्री नन्द किशोर यादव,श्री अश्विनी जी और श्री.यशोदा नंदन पांडे ने भाग लिया था.तबसे इन सबका स्नेह मुझे मिलता रहा है.अश्विनी जी से ज्यादा ही स्नेह मिला है.उस समय बिहार में नितीश जी के नेत्रित्व में चुनाव होने वाला था.रविशंकर जी ने चेन्नई के हम प्रवासियों को बिहार आकर चुनाव में भाग लेने का आह्वान किया था.सुशील मोदी जी भी थे.मैंने जब कहा था की चेन्नई के छठ पूजा में आप सभी भाग लें तो अश्विनी जी ने कहा था हमें आप बिहार आकर वोट देकर जिताएं तो हम अवश्य चेन्नई आएँगे.उस चुनाव में बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ और नीतीश जी मुख्य मंत्री बने.अश्विनी जी नगर विकास मंत्री बने.फिर दुसरे चुनाव में भी नीतीश जी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आए.तब से लगातार अश्विनी जी से संपर्क होता रहा.इस बार उनका चेन्नई आना कुछ अचानक हुआ हमलोग १८ नवम्बर की शाम को तमिलनाडु गवर्नमेंट गेस्ट हाउस में मिले.इस अवसर पर चेन्नई में युवा उद्यमीओं से उनका परिचय कराया.मेरे साथ श्री लक्ष्मेश्वर मिश्र विनोद (विनोवाजी के शिष्य),श्री रामानुज शर्मा,श्री राजकिशोर,श्री मधु कान्त झा,श्री कलानंद मिश्र,श्री अशोक झा,श्री राजीव सिंह,श्री बैद्यनाथ पाण्डेय,श्री दीपक कुमार झा,श्री दिनेश प्रताप सिंह (पूर्व अध्यक्ष यु.पी.अस्सोसीएशन) थे.अश्विनी जी के साथ उनके पूरे परिवार से मिलने का अवसर मिला.पूरा परिवार अपनी संस्कृति और सभ्यता के प्रति समर्पित.दुसरे दिन अश्विनी जी को छोड़ने एअरपोर्ट गया विदा लेते समय जिस आत्मीयता से वे गले मिले वह मुझमे एक नई ऊर्जा भर गया.

ईश्वर करुण,
चेन्नई.               

Tuesday, 25 October 2011

DEEP SE DOSTI

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
दीप से जिसकी दोस्ती होगी,
उसके ही दिल में रौशनी होगी.
"ख़त्म कर देंगे अँधेरे को" सोचने की जगह,
उसके घर में ही उसे देनी पटखनी होगी. 
झोपडी तेरे दम पे रोशन कर,
छाती तेरी तभी तनी होगी.
दीप जितना जलाओगे ईश्वर,
धरती भी उतनी ही धनी होगी.
  • ईश्वर करुण,चेन्नई.

Thursday, 13 October 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 9

९.मधुर गीतों के रचैता-वाली 

अभी-अभी तमिल फिल्मी गीतों में अपनी ख़ास मधुरता के लिए प्रसिद्ध वाली को काव्य क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए १ लाख रुपय का पुरस्कार मिला है.तमिल फिल्मी गीतों में एम् जी आर की लोकप्रियता में वाली के गीतों का भी योगदान है और वर्तमान में वे वरिष्ठ गीतकार हैं और फिल्मों के लिए लिखते रहे हैं.कुझे उनसे मिलने और बात करने का सौभाग्य श्री ते एस के कन्नन जो हिंदी तमिल संस्कृत से अच्छे विद्वान हैं,के द्वारा आयोजित हिंदी तमिल मधुर मिलन समारोह,चेन्नई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कविता सम्मलेन सहित एक-दो आयोजनों में हुआ.उनके संभ्रांत व्यवहार परिधान,देदीप्यमान चेहरा,उसपर सिन्दूर का तिलक और लम्बी खिचड़ी दाढ़ी,उन्हें गरिमा प्रदान करते हैं.मेरा परिचय उनसे हिंदी कवी के रूप में कराया गया.टुकड़ों-टुकड़ों में उनसे तमिल समकालीन कविता पर चर्चा भी हुई.आगे चल कर ज्यात हुआ की वे श्रीरंगम के हैं और वाली मित्रों के द्वारा दिया गया नाम है.वाली याने रामायण के पात्र बाली-सुग्रीव वाले बाली जो तमिल उचारण में वाली है.अमूमन हिंदी में बाली नाम नहीं के बराबर है शायद भगवान् राम के विरोधी होने के कारण रावण,कुम्भकरण,बाली,अहिरावन आदि नाम हिंदी क्षेत्र में नहीं मिलते हैं.यह नाम मित्रों ने वाली के गुणों को देखते हुए उसपर रिदम बिठाते हुए उन्हें दे दिया.वाली के प्रति मेरे मन में जिस विशेष कारण से लगाओ है वह है उन्होंने भी त्रिची से पहले पहल तमिल में हस्तलिखित पत्रिका प्रकाशित किया था और संवेदना के इसी धराधर पर मैं उनसे विशेष जुडाव महसूस करता हूँ क्योंकि चेन्नई से मैंने भी पहले पहल हस्तलिखित पत्रिका कागज़ का प्रकाशन किया था.मुझा भी तमिलनाडु में जो थोड़ी बहुत प्रसिद्धि मिली वह भी जीतों के कारण ही.हालाकि वाली हिंदी जानने वालों के बीच उतने जानेजाते नहीं हैं जितना की जाना जाना चाहिए.उनके अद्भुत सबध संयोजन कोमल भाव और ताजगी भरे उपमान अदभुत हैं.अभी तमिल में उनके जीवन पे आधारित सीरियल काफी लोकप्रिय हुआ है.पुरस्कार पर कागज़ परिवार की बधाई.


ईश्वर करुण,
चेन्नई.        

Wednesday, 12 October 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 8

८.स्टार बल्लेबाज़ और भारत के सफल कप्तान-के.श्रीकांत 
१९९०-९१ में कृष्णामचारी श्रीकांत भारत के स्टार बल्लेबाज़ भरोसेमंद ओपनर और सफल कप्तान के रूप में बहुत प्रसिद्ध थे.उनसे मिलना प्रत्येक भारतीय के लिए एक सपना था.मैं तब चेन्नई में नया-नया ही था लेकिन हिंदी विद्वान के रूप में जाना जानने लगा था.मेरे मित्र श्री किशोरे कुमार कौशल स्टेट  ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन में हिंदी अनुवादक थे और कवि के रूप में मेरे द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पत्रिका "कागज़" में प्रकाशित हो चुके थे.उनका सन्देश मिला की उनके कार्यालय द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह में मुझे विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होना है.मुझे बहुत ख़ुशी हुई.फिर उन्होंने बताया की उस समारोह के मुख्य अतिथि के.श्रीकांत होंगे,मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.दरअसल  स्टेट  ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन चेन्नई के तत्कालीन कार्यालय प्रधान की के.श्रीकांत से अच्छी मित्रता थी इसी कारण श्रीकांत की सहमति हिंदी दिवस समारोह के लिए मिली थी.उस समारोह में श्रीकांत के साथ मेरा परिचय किशोर कुमार कौशल जी ने कराया.श्रीकांत के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर बैठना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी और मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है.समारोह में हम दोनों को सम्मानित किया गया और हम दोनों नें संक्षिप्त भाषण भी दिया.फिर कार्यालय प्रधान ने उन्हें बड़े चुपके से विदा कर दिया अन्यथा बड़ी भीड़ जुट जाती.शायद चेन्नई में हिंदी कार्यक्रमों में के.श्रीकांत की यह अभी तक की एक मात्र सहभागिता है.जिन मित्रों को यह समाचार मिला,उन्होंने मुझे बधाई दी और चेन्नई के हिंदी जगत में के.श्रीकांत के साथ समारोह में होने के कारण मेरा कद भी थोडा बढ़ गया.
                 अभी पिछले दिनों जब मैं दिल्ली स्थित हिंदी भवन में अखिल भारतीय हिंदी कवि सम्मलेन कार्यक्रम में गया तो लगभग २१ वर्षों बाद श्री किशोर कुमार कौशल से भेंट हुई.वे अभी स्टेट  ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के दिल्ली कार्यालय में राजभाषा प्रबंधक हैं.वे विशेष रूप से मुझसे और प्रह्लाद श्रीमाली जी से मिलने आये थे.हमारे प्रति उनके स्नेह का यह आलम था कि वे अपने सुपुत्र को भी मिलवाने ले आये थे.हालाकि वे अपने कार्यालय के हिंदी कार्यक्रम के कारण बहुत व्यस्त थे.दूसरे उनका घर भी दिल्ली से दूर हरियाणा के एक गाँव में है,जहाँ पहुचने में भी दिल्ली से काफी समय लगता है.आज वे स्थापित कवि हैं और उन्होंने अपनी पहली कविता पुस्तक की प्रति भी मुझे दी.वहीँ उस आयोजन में मेरे गुड्डू जी (दलसिंगसराय) भी मिले जो श्रीकांत वाले हिंदी आयोजन के समय चेन्नई आए हुए थे और बिहार जा कर अपने परिचितों को ईश्वर भैया के रुतवे को बताते हुए लोगों को बड़ी शान से बताया करते थे कि ईश्वर भैया श्रीकांत के साथ समारोह के विशिष्ट अतिथि थे.यदा-कदा चेन्नई में श्रीकांत को रायल अंदाज़ में सिगार पीते हुए,कार में जाते हुए देख लेता हूँ तो पुरानी स्मृतिया ताज़ा हो जाती हैं.



ईश्वर करुण,
चेन्नई.

ALVIDA JAGJEET !

अलविदा जगजीत!
अंततः रेशमी आवाज़ के धनी और ग़ज़ल के शब्दों को जीता जागता सांस लेता बनाने वाले ग़ज़ल की दुनिया के सदाबहार कलाकार जगजीत सिंह इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए.अभी-अभी "लोग:जिनसे मैं मिला" कालम का आरम्भ,मैंने उनसे ही किया था;प्रार्थना भी की थी कि मौला उनकी उम्र लम्बी करें.लेकिन 'मोहल्ले की सबसे पुरानी निशानी,वो बुढिया जिसे लोग कहते थे नानी' की तरह लम्बी उम्र के हक़दार नहीं हो पाए.शायद खुदा उन्हें अपने सामने बिठा कर उनसे ग़ज़ल सुनना चाहता था.लगता है जगजीत का मन भी इस दुनिया से भर गया था ! प्यार का खुशनुमा एहसास अपनी ग़ज़लों से करोड़ों लोगों को कराने वाले जगजीत खुदा से खुद प्यार कर बैठे और सचमुच खुदा को प्यारे हो गए.
         जब मैंने हस्तलिखित पत्रिका के नाम के बारे में सोचा था तो मेरे मन में "कागज़" और "कागद" दो नाम उभरे थे.एक में अतीत को वर्तमान के रास्ते होते हुए भविष्य तक ढोने वाला "कागज़" था,तो दुसरे में कबीर के फक्करी  अंदाज़ में धरती को कागद समझने वाला सूफियाना "कागद" था.....और मैंने कागज़ चुना इस चुनाव के पीछे मेरे अवचेतन मन में जगजीत का गाया,"वो कागज़ की कश्ती,वो बारिश का पानी"का कागज़ भी था और थोडा बहुत किशोर का गाया "मेरा जीवन कोरा कागज़" वाला कागज़ भी.अपने अंदाज़ में जिस कागज़ को मैंने समझा उसपर लिखा मेरा ये शेर मेरी बात कह जाता है-"कुछ संदली एहसास भर उधार लिया है,कहते हैं लोग मैंने तुम्हें प्यार किया है.......कागज़ की हकीकत को कलम से बदल दिया,"ईश्वर" ने ग़ज़ल इस तरह तैयार किया है".आज भी 'कागज़ की कश्ती' सुनते ही मैं 'कागज़' से जुड़ जाता हूँ....जगजीत से जुड़ जाता हूँ.इस तरह मैं तमाम उम्र जगजीत की याद करता रहूँगा क्योंकि मैं अपने हाथों से सजाये-सँवारे हस्तलिखित पत्रिका कागज़ को अपने वजूद का एक हिस्सा मानता हूँ."कागज़" परिवार की तरफ से जगजीत को श्रधांजलि.


ईश्वर करुण,
चेन्नई.

KAGAZ KA DWITIYA ANK











कागज़ के प्रथम अंक और दुसरे अंक को प्रयास अंक के रूप में निकाला गया था.एवं इसका मूल्य "स्वेछया" रखा गया था.इसके स्तम्भ का नामकरण बदले कलेवर में,नै कलम से आदि रखा गया था.  

Saturday, 8 October 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 7

७.CHARTERED ACCOUNTANT से सफल फिल्म संगीतकार-भरद्वाज
१९९७ में मेरे मित्र डॉ.बशीर ने बताया की आज शाम हमें फिल्म संगीतकार भारद्वाज जी से मिलने उनके घर जाना है.डॉ.बशीर वर्ष १९८९ से मेरे परम मित्र हैं और बहुत सारी फिल्मी हस्तिओं से हम दोनों साथ साथ मिले डॉ.बशीर वैसे तो तेलुगु भाषी हैं लेकिन तमिल,उर्दू,हिंदी और अंग्रेजी के अच्छे विद्वान हैं और बहुत अच्छे कवि भी.मैं डॉ.बशीर के साथ शाम को जब मैं भरद्वाज जी से मिला तो एक पल के लिए यह सोच भी नहीं पाया कि वे हिंदीतर भाषी हैं.नाम हिंदी क्षेत्र का,चेहरा मोहरा उत्तर भारतीय और उर्दू हिंदी मिश्रित बोलने का लहजा.वे ग़ज़ल पसंद करते हैं शेरो-शायरी के शौकीन हैं.जब यह मालुम हुआ कि वे सी.ए हैं.....और आश्चर्य......और ऊपर से मालुम हुआ कि संगीत निर्देशक हैं तो महा आश्चर्य.उन्होंने बड़ी आत्मीयता से हमें चाय पिलाया,कुछ शेर सुनाये कुछ शेर हम लोगों से सुने.मिलते रहने को कहा.१९९८ में जब उनकी पहली तमिल फिल्म "कादल मन्नन"   का प्रीव्यू  शो आयोजित हुआ तो मुझे और डॉ.बशीर को भी आमंत्रित किया.आगे चल कर उनका हिट गीत "ओ पोड"   लोगों की जुबां पर चढ़ गया.आज वे सफल संगीतकार हैं.

ईश्वर करुण,
चेन्नई.

LOG-JINSE MEIN MILA 6

६.युवा लोकप्रिय फिल्मी गायक-मनो
मेरे मित्र रामकी ने १९८७ अक्टूबर में विजया वाहिनी स्टूडियो में अपने हम उम्र सुन्दर,स्मार्ट और हसमुख व्यक्ति से मेरा परिचय कराते हुए कहा था यह मनो है बहुत सुन्दर गाते हैं मेरे दोस्त हैं और मनो को मेरा परिचय देते हुए बताया था की मैं बिहार का हूँ और बिहार में मिथिला पुरी का हूँ बहुत अच्छा हिंदी का विद्वान हूँ और अच्छा गीत लिखता हूँ.मैंने रामकी की बनाई धुन पर एक गीत लिखा था जिसके कारण रामकी बहुत प्रभावित था.मनो ने काफी अपनेपन के साथ मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया था और मैं उसके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुआ था.रामकी ने बताया की मनो ने पिछले वर्ष पहला हिट गीत कन्नड़ फिल्म के लिए गाया है और पार्श्व गायन के क्षेत्र में अभी अभी तेजी से उभरा है.रामकी भी कुछ धुन उस समय के प्रसिद्ध संगीत निर्देशक एल.वैद्यनाथन(हिंदी सीरियल मालगुडी डेज़ के संगीत निर्देशक) के साथ मिल कर बनाया था और फिल्म में जमने के लिए संघर्षरत था.बाद में दूरदर्शन पर नया वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य सहभागी के रूप में मनो को देख कर ख़ुशी हुई.उसने हिंदी फिल्मी गीत भी गाये हैं.


ईश्वर करुण,
चेन्नई.    

Friday, 7 October 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 5

५.बीते ज़माने के तमिल फिल्म स्टार-टी.राजेन्दर
तब मैं चेन्नई में नया नया आया ही था.१९८७ का सितम्बर महिना था.मेरी पहली दोस्ती कन्नड़ भाषी हिंदी जानने वाले संगीतकार डी.रामकृष्णा से हुई.उनका तमिल फिल्म इन्डस्ट्री के कई नामी गिरामी लोगों से परिचय था.वह मुझे भैया कहता है आज भी मेरा मित्र है.एक शाम वह मुझे विजया फिल्म स्टूडियो ले गया.मेरे लिए फिल्म स्टूडियो के अन्दर जाना ही बड़ी बात थी.वहां उसने मेरा परिचय टी.राजेन्दर जी से कराया.कद के छोटे लेकिन कद्दावर अभिनेता टी.राजेन्दर उस समय चर्चित फिल्म स्टार थे.उन्होंने काफी गर्मजोशी से  हाथ मिलाया.किसी अभिनेता से मिलने का यह मेरा प्रथम अवसर था.मुझे बहुत अच्छा लगा.इसका श्रेय रामकी को जाता है.बाद में कन्नड़ फिल्म इन्डस्ट्री के बैंगलोर स्थानांतरित हो जाने के कारण डी.रामकृष्णा भी बैंगलोर चले गए बाद में मैसूर चले गए.टी.राजेन्दर के अभिनेता पुत्र सिलाम्बरसन के पोस्टर देखता हूँ तो उनके पिता से हुई मुलाकात आखों के आगे तैर जाती है.


ईश्वर करुण,
चेन्नई.

KAGAZ KA PRATHAM SAMPADKEEYA

"कागज़!
     अभिव्यक्ति का वाहक,जो एक ओर अपने सीने पर इतिहास ढोए चलता है तो दूसरी ओर वर्तमान को संभाले रखता है और भविष्य के लिए पाथेय संजोकर चलता है.
     कागज़ न हिन्दू है न मुस्लिम,न इसाई है न सिख या न फिर और कुछ-कागज़ तो कागज़ है.लेकिन इसकी नियति ! एक ओर तो मूल्यवान वस्तुओं-सा सुरक्षित रखने हेतु प्राह्लादों में होता है तो एक ओर रद्दी की तोकरियन भी इसी के लिए बनी होती हैं.यह धर्म निरपेक्ष और समदर्शी भी है-आप चाहें आप लिख लीजिये आपका दुश्मन चाहे दुश्मन लिख ले.
     शक्ति के पर्व पर हम इसे मानते हैं की आज हमारी शक्ति कागज़ में ही निहित है-बैलेट हो,अखबार हो,शांति-समझौता हो,हिट-लिस्ट हो या फिर आणविक सूत्रों की नयी-नयी व्याख्या हो.
     विध्वंशक और रचनात्मक दोनों पक्षों को हमारे सामने रखनेवाला परिचय का मोहताज़ नहीं,बल्कि हम-आप का परिचय देता है हाँ-आपकी विवेचनात्मक,विवेकी और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण का अपेक्षित है."कागज़" आपके समक्ष है,आप ही बताएँ इसे कैसे रचनात्मक बनायें और यह भी-यह रद्दी है या पठनीय !


सम्पादक."

KAGAZ KA PRAVESHANK

कागज़ का प्रथम अंक अक्टूबर १९८९ में प्रकाशित किया गया था.इसका प्रवेशांक दुर्गा पूजा के अवसर पर बिहार एसोसिएशन राजेंद्र भवन में बड़ी संख्या में उपस्थित हिंदी जानने वालों के बीच किया गया था.इस अवसर पर तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र चौधरी जी ने प्रथम प्रति प्राप्त की थी.चौधरी जी उस समय बिहार से प्रकाशित लोकप्रिय राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक INDIAN NATION के दक्षिण क्षेत्र के पदाधिकारी थे और बहुत अच्छे लेखक थे.उन्हीके नेतृत्व में बिहार एसोसिएशन परवान चढ़ा.वे जयप्रकाश नारायण और रामनाथ गोयनका के बहुत नज़दीक थे और चेन्नई में बिहार के बौद्धिक जगत के सच्चे प्रतिनिधि थे.कागज़ के संपादक ईश्वर करुण चेन्नई आए तो उनका पता ले के आए थे और उनसे उनके राजा अन्नामलाई पुरम आवास पर मिले थे.तब से चौधरी जी ने पुत्र समान  स्नेह दिया.उन्होंने बिहार एसोसिएशन का सदस्य बनाया और बिहार एसोसिएशन के दुर्गा पूजा की स्मारिका का सह संपादक भी बनाया.चौधरी जी के निधन के बाद बिहार एसोसिएशन की दुर्गा पूजा स्मारिका का संपादन ईश्वर करुण ने लम्बे समय तक किया.

Saturday, 1 October 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 4

४.कलमों के धनी प्ले बेक सिंगर PBS यानी-पी.बी.श्रीनिवासन जी 
श्री पी बी श्रीनिवासन ने अपने नाम का संक्षिप्तीकरण करते हुए मुझसे पहली ही मुलाकात में कहा था-P B S यानि  PLAY BACK SINGER.सच है वे आज के दौर के वरिष्ठ गायक हैं जिन्होंने तमिल,तेलुगु,कन्नडा,मलयालम और हिंदी में एक से एक मधुर फिल्मी गीत लोकप्रिय अभिनेताओं के लिए गाया-M G R,शिवाजी गणेशन........ हिंदी में उनका गीत "सोजा राज कुमारी सो जा" काफी लोकप्रिय है.उनकी जेब में कमसेकम ८-१० कलम हमेशा रहते हैं.और डायरी तथा पुस्तकों का वजन भी वे सम्हाले फिरते हैं.बीते दिनों में उनका अड्डा वूद्लंद ड्रिवे हुआ करता था.उनका शगल है अच्छी गजलें लिखना और जिनको वो चाहते हैं उनके नाम के एक एक अक्षर से शुरू होने वाली पंक्तिओं की कविता लिखना देश में वे अपने ढंग के अलग कवि भी हैं.मेरा ये सौभाग्य है की उन्होंने मेरे नाम पर भी कविता लिखी.कई बार उनका फ़ोन भी आता है कभी किसी शब्द के सन्दर्भ में तो कभी हाल-चाल जानने के लिए.उन्होंने  ईश्वर करुण के लोकप्रिय गीत पुस्तक का लोकार्पण भी किया.मेरी हिंदी सेवा के लिए उनके द्वारा अंगवस्त्रम से सम्मानित होने का सौभाग्य भी मुझे मिला है.


ईश्वर करुण,
चेन्नई.      

LOG-JINSE MEIN MILA 3

 ३.टी वी पर हिंदी कविता के समर्थ प्रस्तोता-श्री सुभाष काबरा 
सुभाष काबरा जी को टी वी पर चर्चित कवि सम्मलेन "वाह-वाह" में देखा था. श्री अशोक चक्रधर जी के बाद वे वाह-वाह के संचालक बने थे.उनके छोटे छोटे हास्य पूर्ण वाक्य एक अलग खासियत लिए हुए थे और श्रोताओं को प्रभावित करने में सक्षम थे.अभी अभी पिछले दिनों उनसे मिलने और साथ साथ काव्य पाठ का अवसर मिला वे आगे बढ़ कर बड़ी आत्मीयता से मिले और लगभग १० बजे दिन से सायं ७ बजे तक अपनी छोटी छोटी हास्युक्तिओं और व्यंगयुक्तिओं से हम सब को हँसाते और प्रभावित करते रहे.बड़ी अंतरंगता से हमारी बातचीत होती रही.शाम को कवि सम्मलेन का बहुत अच्छा  संचालन तो किया ही शुद्ध हास्य और व्यंग की कविता सुना कर कवि सम्मलेन को सार्थक बनाया.मेरे गीतों के वे प्रशंसक हैं और उन्होंने मेरे गीतों को और मुझे भी बहुत सराहा.यह भेंट अविस्मरणीय है.उनकी पुस्तक "पढो समझो और मत मानो" से ही लिया गया उनका परिचय."५५ की उम्र तक ३०० रेडियो प्रोग्राम,३००० कवि सम्मलेन,धारावाहिकों के ३००० एपिसोड,४ टेली फिल्म्स,५ देशों की काव्य यात्राएं,४ कैसेट,एकाध किताब,यहाँ-वहां,जाने कहाँ कहाँ छपने का शगल,३०० शाल-श्रीफल,कुछ पुरस्कार सम्मान,२ बच्चे,१ बीबी,बहु,दामाद,अमूमन पाए जाने वाले सभी रिश्तेदार,और सबसे ऊपर माँ का आशीर्वाद,२-३ टेलीफ़ोन,१ फैक्स मशीन,बैंक के लोन पर घर और कार,और चलाना न जानते हुए भी एक कंप्यूटर.कंप्यूटर के पास वही पुराणी कलम और कोरे कागज़.रिटायरमेंट की कविता अभी नहीं लिखी.फिलहाल जेमिनी स्टूडियो में क्रिएटिव हेड.इतना परिचय काफी है ना ? कम लगे तो सीधे यहाँ संपर्क करें-kforkabra@gmail.com."
श्री सुभाष काबरा ने उपरोक्त पुस्तक २७.९.११ को मुझे भेंट देते हुए उस पुस्तक में,मेरे बारे में लिखा-"करुण भाई,ये किताब एक रोज़ कहीं खो जाएगी लेकिन आपके गीत युगों-युगों तक रहेंगे.आपकी विधा को सप्रणाम-ये प्रयास." 


ईश्वर करुण,
चेन्नई.

Saturday, 24 September 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 2

२.तमिल समकालीन कविता के मोती-वैरमुत्तु

तमिलनाडु के श्री वैरमुत्तु जी का फ़ोन मेरे घर आया,तब मैं उन्हें नहीं जानता था.बच्चों ने बताया कि किसी  वैरमुत्तु जी का फ़ोन आया है.मैंने कहा में उन्हें नहीं जानता,तो मेरे बच्चों ने आपस में बात किया कि तमिल गीत लिखने वाले वैरमुत्तु होंगे लेकिन खुद ही उनका जवाब था-"वो वैरमुत्तु तो पापा को जानते नहीं,फिर वो क्यूँ पापा को फ़ोन करेंगे वे,बड़े आदमी हैं."उस समय तमिल अभिनेता प्रभुदेवा का नृत्य और वैरमुत्तु जी का गीत,"मुक्काबला मुक्काबला"की धूम देश भर में मची हुई थी.मेरे बच्चे तमिल जानते हैं इसलिए वे वैरमुत्तु जी को जानते थे.इस गीत का यह आलम था की वित्त मंत्रालय के राजभाषा विभाग से हिंदी कार्यान्वयन निरीक्षण के लिए दिल्ली से आने वाले सहायक निदेशक ने यह बताया की चेन्नई आते समय उनकी बिटिया ने यह कहा की आप चेन्नई जा रहे हैं तो प्रभुदेवा से जरूर मिलना.दूसरे दिन जब फिर वैरमुत्तु जी का फ़ोन आया तब मैं घर में ही था.उनके नीजी सचिव भास्कर ने मेरा नाम पूछा और बताया कि श्री वैरमुत्तु मुझसे बात करना चाहते हैं.बच्चों को जब मालूम हुआ कि ये वही वैरमुत्तु हैं तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा और वे अपने पापा को भी बड़ा आदमी मानने लगे.अगले सप्ताह दिवाली मैं श्री वैरमुत्तु जी की ओर से भास्कर जी मिठाई लेकर मेरे घर आए और वैरमुत्तु जी से मिलने का कार्यक्रम तय किया.फिर वैरमुत्तु जी से मेरी मुलाकात हुई.तबसे श्री वैरमुत्तु मेरे बड़े भाई जैसे हैं.उनकी कविताओं का हिंदी अनुवाद "बिंदु से सिन्धु की ओर" में मेरी योगदान की उन्होंने स्वयं चर्चा की है.आगे चल कर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री   भी प्रदान किया.पहली मुलाकात से ही मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ और आज भी उनका स्नेह मुझे प्राप्त है.

ईश्वर करुण,
चेन्नई.         

Friday, 23 September 2011

LOG-JINSE MEIN MILA 1


१.जगजीत सिंह जी के लिए मंगल कामना 

ग़ज़ल गायकी के क्षेत्र में जगजीत सिंह जी का योगदान उल्लेखनीय है.उनकी हालत चिंताजनक है,उनका ब्रेन हैमरेज हुआ है.ईश्वर  से प्रार्थना है की वे शीघ्र स्वस्थ हों.
      मेरा ये सौभाग्य रहा है की बतौर मंच संचालक मैंने उन्हें प्रस्तुत किया,फिर चेन्नई में उनका साउथ चक्र साप्ताहिक के लिए साक्षात्कार भी लिया.जो एक उल्लेखनीय साक्षात्कार के रूप में चर्चित हुआ.रेशमी आवाज़ के इस जादूगर ने ग़ज़ल को नई लोकप्रियता प्रदान की.मेरे मित्र गज़लकार श्री.हस्तीमल हस्ती,मुंबई की लिखी ग़ज़ल "प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त तो लगता है" को बड़े दिलकश अंदाज़ में जगजीत सिंह ने गाकर लोकप्रिय बनाया.ईश्वर से प्रार्थना है की उन्हें लम्बी उम्र बख्शें.



ईश्वर करुण,
चेन्नई.

Monday, 19 September 2011

KAGAZ KE BAARE MEIN

कागज़ चेन्नई से १९८९ से निकलने वाली उल्लेखनीय हस्तलिखित पत्रिका थी.इसके माध्यम से कई साहित्यकार साहित्य जगत में आये और आज भी महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं.श्री प्रह्लाद श्रीमाली,डॉ.निर्मला मौर्य,डॉ.प्रभु गंजिहाल आदि प्रमुख हैं.कागज़ के अंकों पर नवभारत टाइम्स ने बड़ी समीक्षा छापी.कागज़ का महत्त्वपूर्ण उल्लेख दक्षिण की हिंदी पत्रकारिता पर किए गए शोध कार्यों में हुआ.जिसमे डॉ.रविन्द्र,गोवा,डॉ.जयशंकर बाबु का नाम उल्लेखनीय है.कागज़ के चाहने वालों में दक्षिण के प्रसिद्ध हिंदी विद्वान डॉ.सुब्रमण्यम विष्णुप्रिया,श्री.र.शौरिराजन,स्व.रुक्माजीराव अमर,डॉ.बालशौरी रेड्डी आदि प्रमुख रहे हैं.लगभग २३ वर्षों बाद कागज़ को पुनर्जीवित करने का प्रयास है.चेन्नई और देश के अन्य शहरों के मित्रों से,जिन्होंने कागज़ को देखा-पढ़ा,निवेदन है कि वे अपने संस्मरण या विचार भेजें.साथ ही अपनी छोटी छोटी रचनाएँ भी भेजें.


ईश्वर करुण,
चेन्नई.