१३.भारतीय फिल्म संगीत का स्वर्णिम व्यक्तित्व-भप्पी लाहिरी
भप्पी दा से एक ही मुलाकात हुई लेकिन जब लोग बिना मिले भी उन्हें भूल नहीं सकते तो मैं कैसे भूल सकता हूँ.मैं मुंबई गया था और मेरे दोस्त अतुल श्रीवास्तव ने बताया की वो भप्पी दा के सेक्रेटरी के बेटी की शादी में जाने वाला है और मुझे भी ले जाना चाहता है तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गया.अतुल कोलकाता का है अच्छी बंगला जानता है और अच्चा गाता है वह मुंबई में गायन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में संघर्षरत था.शाम को हम दोनों शादी में भाग लेने पहुंचे वहां अतुल ने मेरा परिचय भप्पी दा के सेक्रेटरी से कराया,वहीँ नवाब आरजू से परिचय हुआ.फिर जब भप्पी दा आए तो उनसे मिलने का सौभाग्य मिला.उन्होंने यह जानकर की मैं भी गीत लिखता हूँ ख़ुशी जताई.तब उनके गीत "बम्बई से आया मेरा दोस्त" गली-गली बजता था आज "ऊ लाला ऊ लाला" की धूम मची है.जितनी बार "ऊ लाला ऊ लाला" सुनता हूँ भप्पी दा से मिलने का खुशनुमा एहसास ताज़ा हो जाता है.
ईश्वर करुण,
चेन्नई.