Thursday, 3 November 2011

KAGAZ KA TRITIYA ANK









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  1. कागज की ऐतिहासिक उपलब्धि की याद दिलाने के लिए दुर्लभ अंकों की प्रतियाँ आपने इसी नाम से ब्लाग शुरू करके विश्व के लिए सुलभ करा दिया, इस हेतु आप बधाई के पात्र हैं । आप इस ब्लाग के माध्यम से कागज की गरिमा को बढ़ाने की दिशा में निरंतर सेवा करते रहें, ऐसी आशा एवं अपेक्षा है । युग मानस आपके साथ है ।
    पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय, पुदुच्चेरी में तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा 2-3 दिसंबर, 2011 को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में आपकी गरिमामय भागीदारी एवं महत्वपूर्ण एवं अविस्मरणीय सेवाओं के लिए हार्दिक आभार । संगोष्ठी संबंधी संक्षिप्त समाचार (जिसे कुछ समय बाद संपूर्ण रूप दिया जाएगा) और पहले दिन के कार्यक्रमों के फोटोज़ युग मानस में शामिल किए गए हैं । कृपया आप इस लिंक पर जाइए - http://yugmanas.blogspot.com/2011/12/blog-post.html
    - डॉ.सी. जय शंकर बाबु, संपादक, युग मानस

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