२.तमिल समकालीन कविता के मोती-वैरमुत्तु
तमिलनाडु के श्री वैरमुत्तु जी का फ़ोन मेरे घर आया,तब मैं उन्हें नहीं जानता था.बच्चों ने बताया कि किसी वैरमुत्तु जी का फ़ोन आया है.मैंने कहा में उन्हें नहीं जानता,तो मेरे बच्चों ने आपस में बात किया कि तमिल गीत लिखने वाले वैरमुत्तु होंगे लेकिन खुद ही उनका जवाब था-"वो वैरमुत्तु तो पापा को जानते नहीं,फिर वो क्यूँ पापा को फ़ोन करेंगे वे,बड़े आदमी हैं."उस समय तमिल अभिनेता प्रभुदेवा का नृत्य और वैरमुत्तु जी का गीत,"मुक्काबला मुक्काबला"की धूम देश भर में मची हुई थी.मेरे बच्चे तमिल जानते हैं इसलिए वे वैरमुत्तु जी को जानते थे.इस गीत का यह आलम था की वित्त मंत्रालय के राजभाषा विभाग से हिंदी कार्यान्वयन निरीक्षण के लिए दिल्ली से आने वाले सहायक निदेशक ने यह बताया की चेन्नई आते समय उनकी बिटिया ने यह कहा की आप चेन्नई जा रहे हैं तो प्रभुदेवा से जरूर मिलना.दूसरे दिन जब फिर वैरमुत्तु जी का फ़ोन आया तब मैं घर में ही था.उनके नीजी सचिव भास्कर ने मेरा नाम पूछा और बताया कि श्री वैरमुत्तु मुझसे बात करना चाहते हैं.बच्चों को जब मालूम हुआ कि ये वही वैरमुत्तु हैं तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा और वे अपने पापा को भी बड़ा आदमी मानने लगे.अगले सप्ताह दिवाली मैं श्री वैरमुत्तु जी की ओर से भास्कर जी मिठाई लेकर मेरे घर आए और वैरमुत्तु जी से मिलने का कार्यक्रम तय किया.फिर वैरमुत्तु जी से मेरी मुलाकात हुई.तबसे श्री वैरमुत्तु मेरे बड़े भाई जैसे हैं.उनकी कविताओं का हिंदी अनुवाद "बिंदु से सिन्धु की ओर" में मेरी योगदान की उन्होंने स्वयं चर्चा की है.आगे चल कर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया.पहली मुलाकात से ही मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ और आज भी उनका स्नेह मुझे प्राप्त है.
ईश्वर करुण,
चेन्नई.